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Smart Parenting Tips in Hindi with parenting guide



Smart Parenting Tips in Hindi with parenting guide




Parenting Tips in Hindi जी आप बिलकुल सही पढ़ रहे है। आज के इस समय में जहा पै TV, mobile, internet जैसी सुविधा में अच्छा और बुरा दोनों ही पहलू होते है। लेकिन अच्छा तो सीखते ही है। साथ में बुरा तो जल्दी सीख जाते है।
   
आपके भी बच्‍चे इस तरहा की बुरी संगत में रहकर 'गाली देना' सीख रहें हैं? तो इन जब्रजस्त 5 तरीकों से उन्‍हें बनाएं 'संस्‍कारी'
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बच्‍चों को संस्‍कारी बनाने के लिए उन्‍हें बुरी संगत से दूर रखना चाहिए। गलत लोगों का साथ पाकर बच्‍चे गाली देना और असभ्‍य व्‍यवहार करने लगते हैं। जो हमारे समाज के हित में नही है।



बच्‍चों का मन अधिक ही चंचल होता है। ज़्यादातर बच्‍चों का मन हमेशा कोई न कोई शरारत करने में रहता है। कई बार सीधे-साधे भोले भाले बच्‍चे भी बुरी संगत में आकर गलत चिजे सीख जाते है।
यहां तक कि कुछ बच्‍चे बुरी संगत में रहने से गाली देना तक सीख जाते हैं। बच्‍चों के गाली देने का सबसे ज्‍यादा असर उनके माता-पिता की परवरिश पर निशान खड़े करते हैं। घर में आए मेहमान पर भी इसका बहुत ही बुरा प्रभाव पड़ता है। हमारे समाज के लोग इस तरह की आदतों को कभी भी स्‍वीकार नहीं करते हैं।


आपका बच्‍चा भी बुरी संगत में आकर गालीया देना सीख रहा है तो ये आपके लिए और आपके बच्‍चे के लिए ठीक नहीं है। इसका भारी नुकसान आपकी फैमिली को उठाना पड़ सकता है।
यदि आप चाहते हैं कि बच्चा गाली देना या असभ्‍य तरीके से बात करना न सीखे तो यहां हम आपको 5 उपाय बता रहे हैं जो निश्चितरूप से आपकी मदद करेंगे। आइए जानते हैं।


जब आपका बच्चा पहली बार गाली बोले तब टोके

काफी बार आपको पता ही नहीं होता है कि आपका बच्‍चा कैसे-कैसे लोगों के संगत में हैं।
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कई बार बच्‍चे आपके सामने गाली नहीं दे रहे होते हैं मगर आपके पीठ पीछे जरूर असभ्‍य भाषा का इस्‍तेमाल कर रहे होते हैं। मगर बच्‍चों की ऐसी आदत लंबे समय तक छिपती नहीं है।

अगर आपका बच्‍चा गलती से भी गाली का प्रयोग करता है तो उसे वहीं तुरंत टोकें ताकि वह दोबारा ऐसे शब्‍दों का प्रयोग न करे। और बच्चा खुद क्या बोल रहा है उसका मतलब भी वो भी उसे पता नही होता बस सुना और बोल पड़ा बच्चे को तुरंत ही टोके और सही समझ दींजिये


बच्‍चे और जिस दोस्‍तों के साथ रहते है उस पर नजर रखें
कुछ माता-पिता न तो अपने बच्‍चे पर नजर रख पते हैं और न ही उनके दोस्‍तों पर, जबकि ऐसा नहीं करना चाहिए।
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अगर आप अपने बच्‍चों की अच्‍छी तरह से परवरिश करना चाहते हैं तो उनपर नजर रखें। हालांकि, नजर रखने का मतलब यह कतई नहीं है कि आप उनकी जासूसी करें। बच्‍चे से उसके बारे में और उसके दोस्‍तों के बारे में जरूर बात करें साथ ही उन्‍हें अच्‍छे दोस्‍त और बुरे दोस्‍तों में फर्क को समझाएं।



आपका बच्‍चा पढ़ने में कैसा है, उसके मार्क्‍स कैसे आ रहे हैं, शिक्षकों का उसके प्रति क्‍या भाव है जैसी बातों को एक पैरेंट्स को जरूर पता होना चाहिए। कुछ मिलाकर माता-पिता को उसकी पढ़ाई पर विशेष ध्‍यान देना चाहिए।

ताकि उसका मन पढ़ाई में लगे और वो बुरी आदतों और संगतों से दूर रहें। अगर आपका बच्‍चा पढ़ाई में अच्‍छा होगा तो निश्चितरूप से उसके दोस्‍त भी कम होंगे और अच्‍छे होंगे।

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हमेशा नैतिक शिक्षण के बारे में शिक्षित करिए

बचपन से ही बच्‍चों को नैतिकता का पाठ जरूर पढ़ाना चाहिए। बच्‍चों को गीता, रामाणय और वेदों से जुड़ी कहानियां बतानी चाहिए। उन्‍हें उन महापुरुषों की कहानी सुनानी चाहिए, जिन्‍होंने देश के लिए और समाज के लिए कुछ अलग किया हो।

नैतिकता से बच्‍चों में गंभीरता आती है और वे किसी महान व्‍यक्तित्‍व की तरह जीवन जीते हैं। ऐसे बच्‍चे कभी बुरी संगत में नहीं पड़ते हैं बल्कि वे आगे चलकर अपने माता-पिता का नाम करते हैं।


सही और गलत व्‍यक्तियों के बीच का फर्क समझाएं
अच्‍छे इंसान कौन होते हैं और बुरे इंसान कौन होते हैं, इस प्रकार की समझ बच्‍चों विकसित नहीं होती है। ये उन्‍हें सिखाना पड़ता है।

और ये काम माता-पिता का होता है। पेरेंट्स को अपने बच्‍चों को अच्‍छी सीख देने के साथ अच्‍छे और बुरे इंसानों के बीच फर्क को भी बताना चाहिए, ताकि वे ऐसी संगत में न पड़ें जिससे उनका भविष्‍य और आपकी छवि खराब हो।


अंत मे इतना ही अर्थ होगा की

बच्‍चों को संस्‍कारी बनाने के लिए कोई उपाय नहीं होता। इसके लिए आपको शुरू में ही आपको उनकी देखभाल करनी पड़ती है।

ये एक दिन करने से नहीं होता बच्‍चों को एक अच्छा और सफल मनुष्य बनाने के लिए उन्‍हें मूल्‍यों पर आधारित शिक्षा से अवगत करना होंगा।बच्चे में अच्‍छे संस्‍कार 
सिचने होंगे के लिए उन्‍हें अच्‍छी सीख देनी पड़ती है।




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