Adhik Mass In Hindi – Purushottm Mass ki Sampurn Jankari – Malmas kyu kehte hai?
अधिक मास क्या है? अधिक मास को पुरुषोत्तम मास और मलमास भी कहते है। अधिक मास हर तीन साल के बाद एक बार आता है। क्यू? विस्तार से जानने का प्रयास करते है।
हमारी पृथ्वी मे सूर्य वर्ष 365.25 दिन का होता है। यानि 365 दिन और करीब 6 घंटे का होता है, और चंद्र वर्ष 374 दिनों का मानते है।
इस दोनों वर्षों के बीच मै करीब 11 दिनों का अंतर होता है। यही अंतर तीन साल होने पर एक महीने के बराबर हो जाता है। यह महीने का अंतर को समान करने के लिए हर तीन साल में एक चंद्र मास अधिक हो जाता है। जो अधिक होने की वजह से अधिकमास का नाम दिया गया है।
पुरुषोत्तम मास और मलमास क्यू
कहते है? अधिक मास मे
क्या करना चाइए? अधिक मास में शुभ कार्य वर्जित क्यू हैं? कुछ महत्व पूर्ण उपाय जो आप करते है, जिससे आपकी ज़िंदगी मै खुशहाली आएAdhik mass
आइए इस अधिक मास को समझने का प्रयास करते हैं।
अधिक मास को ही पुरुषोत्तम मास क्यू कहते है?
हमारी हिन्दू शास्त्र की पौराणिक कथाओं मै अधिक मास को मल बताया गया। इस मास मै मल होने की वजह से कोई भी इस मास का स्वामी होना नही चाहता था, इस लिए यह मास ने श्री भगवान विष्णु जी को उद्धार के लिए प्रार्थना की।
Purushottam Maas Ki Sampurn Jankari
इस लिए भगवान विष्णु ने इस मास को अपना श्रेष्ठ नाम पुरषोत्तम दिया गया। और साथ मै आशीर्वाद दिया कि जो इस अधिक माह में भागवत कथा श्रवण, मनन, भगवान शंकर का
पूजन, धार्मिक अनुष्ठान, दान जैसे पुण्य कर्म करेगा उसे अक्षय फल प्राप्त होंगा।
अधिक मास को मलमास क्यू कहते है?
हमारे हिन्दू शास्त्र के आधार पर एक साल में 12 महीने होते हैं
और अगर 12 से अधिक महीने हो तो उसे 'मलिन' यानी अशुभ प्रभाव
कहा जाता है। इसी लिए अधिक मास को नाम मलमास हुआ।
इस कारण से इस पूरे महीने में शुभ कार्य वर्जित हैं। अधिक मास में सूर्य की संक्रांति न
होने के कारण यह महीना मलिन मान लिया जाता है। इस कारण लोग इसे मलमास भी कहते हैं।Mal Mass ka Mahina
अधिक मास मे क्या
करना चाइए?
सबसे पहले तो अधिक
मास मई कोई भी शुभ कार्य जैसे की गृह प्रवेश, मुंडन, शादी, नही करने चाहिये। किन्तु पुजा-अर्चना प्रभु का स्मरण, दान, जैसे धार्मिक कार्य करने की सलाह हमारे हिन्दू शास्त्र
के अनुसार श्रेष्ठ माना गया है।
अधिक मास मे खास करके
शिवजी पुजा करनी चाहिये।
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अधिक मास भगवान
शिवजी की आराधना के लिए बहूत ही फलदायी अच्छा माना गया है। शिवजी के अलावा इस
महीने में विष्णु पूजा को भी महत्व दिया जाता है।
अधिक मास से जुड़े
कुछ और सवाल जवाब
अधिक मास में बाल गोपाल पूजन होता है कि नहीं?
अधिक मास भगवान विष्णु को भी विशेष
महत्व है, बाल गोपाल विष्णु जी अवतार है। यह मास पुजा-अर्चना करने लिए श्रेष्ठ माना गया है
हमारे हिन्दू शास्त्र के अनुसार
अधिक मास कब है?How is adhik Maas calculated?
2020 के साल मै 18 सितंबर 2020 के
दिन से ही अधिकमास शुरू हो जाएगा, जो 16 अक्टूबर 2020 तक
अधिक मास में कौन से देव की पूजा होती है?
अधिक मास भगवान विष्णु
और शिवजी को सर्मप्रीत है। और अधिक मास पुजा-अर्चना करने लिए श्रेष्ठ माना गया है हमारे
हिन्दू शास्त्र के अनुसार तो भगवान विष्णु के कोई भी स्वरूप की पुजा कर सकते है।
इस मास मै जिस देवी
देवता को आप पूजते हो वो पुजा कर सकते है।
शिव कृपा पाने के
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कुछ महत्व पूर्ण
उपाय
सोमवार और हमारे हिन्दू केलेंडर
के अनुसार हर माह मे कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को मासिक शिवरात्रि होती है। इस दिन भगवान शिव की पूजा करें। शिवलिंग पर पवित्र जल और दही
अर्पित करें। आपके रुके कार्य की शरूआत होने लगेगी
शिवजी की कृपा से सफलता भी मिलेंगी
संतान प्राप्ति के लिए पति पत्नी अधिक मास में सोमवार या फिर मासिक शिवरात्रि पर शिव मंदिर मै शिवजी को पति पत्नी साथ मै शिवलिंग पर घी अर्पित करें और संतान प्राप्ति हेतु शिवजी को प्राथना करे।
आर्थिक संकट की समस्या दूर करने के लिए अधिक मास के मै शिवलिंग की पूजा करें। गन्ने के रस से शिवजी का अभिषेक करें
शिवलिंग पर कच्चा दूध अर्पित करें। इसके बाद कुछ गरीबों में दूध का दान करें। शिवजी की कृपा से आपको रोगों से छुटकारा मिलेगा
विवाह मे अगर अड़चन हो रही हो तो शिव मंदिर मै शिवलिंग पर शहद चढ़ाए, और प्राथना करे शिवजी की कृपा से आपको विवाह संभन्धित समस्या दूर होंगी
आशा करता हु, अधिक मास जुड़ी की जानकारी आपको पसंद आई होंगी, जो आपको अधिक मास मै काफी लाभदायक हो।
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ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः।
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