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Bachpan Kuch Meetha Kuch Namkeen


Bachpan Kuch Meetha Kuch Namkeen



 मनुष्य जीवन में सबसे यादगार और अहम हिस्सा bachpan होता है। वो bachpan के पल मे जाने की लालसा हम सभी को होती है। जब बच्चे होते है। तब सोचते है कब बड़े होंगे जल्दी बड़े होने की तमन्ना होती है।

और बड़े हो जानेपर फिर से बचपन ये ईश्वर कैसी माया है। पर दोस्तो हम भी बच्चे बन के बच्चो के साथ बचपन जी सकते है। जैसे बच्चे केसे क्यूट होते है।

 वैसे ही बचपन भी बहुत मासूम और प्यारा होता है। खाओ, कूदो खेलो और  लड़ाई

सैतानी करनेपर मम्मी के हाथ से  उड़ता हुआ पेरगोन हवाई जहाज आता है।

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फिर व्ही मम्मी प्यार से दुलार से मनाती है। और पूछती है क्या चाहिए मेरे बाबू को हम एसी ही कुछ खट्टी कुछ मीठी और नमकीन बाते करते है बचपन की
आइए चलते है बचपन के कुछ यादगार पल में डुबकी लगाने 
  
(1)           Bachpan Ishwar ka Ashirvad
(2)           Bachpan Ke Kissey Kahaniya

(3)           Bachpan Ki Bhuli Bisri Yaadein

(4)           Bachpan Ke Khel or saitaniya
(5)           Bachpan Ka Bholapan

(1) Bachpan Ishwar ka Ashirvad

Bachpan ईश्वर का स्नेह पूर्वक दिया हुआ आशीर्वाद है।

जो इस पृथ्वी मे हर जन्म लेने वाला जातक को प्राप्त होता है। चाहे वो मनुष्य हो या पशु, पक्षी हर जीवमात्र को लेकिन हम यहा बात कर रहे है।

 मनुष्य के Bachpan की हमारे मनुष्य के जीवन मे Bachpan कुछ खास महत्व है।
वेसे माना जाता है। Bachpan 0 से 12 साल का तय किया गया है लेकिन हमारा मन कभी भी कोई भी उमर मे Bachpan की सुनहरी यादें में चला जाता है।

 कहते है 5 साल तक बच्चा भगवान के सानीध्य पलता है। एक जहा जन्म हुआ व्हा माँ-बाप आज के युग मे मम्मी पापा जो साक्षात हमारे पास होते वो पूरा प्यार हम पे न्योछावर कर देते है।

और एक वो ईश्वर जिसे हम ऊपर वाला भी कहते है। पालनहार हमारा इस 5 साल तक उम्मर मे विशेष ख्याल रखते है।

जब तक हम बोलना नही आता जब हम बचे होते है। तब माँ हर तकलीफ पता चल जाता है। हमे गीले से सूखे मे सुलाती है। अपना दूध पिलाती है। जब खाना खाने सीख जाओ तब नर्म खाना खिलाती है।

 उस टाइम खाना खाने मे कितने नखरे किये वो हमारी माँ ही जानती है। एक बार पूछ के ट्राय जरूर करयीङ्गा  सुनके यकीन नही होंगा आप ने ऐसे भी कुछ कारनामे किए थे  वैसे में आगे बताने वाला ही हु।

Friends इस लिए कहते है। “Bachpan ईश्वर का आशीर्वाद है।’’

(2) Bachpan Ke Kissey Kahaniya

कैसा मस्त होता है ना Bachpan नो टेन्सन जो मरजी मे आए वो करो माता-पिता, बड़े भाई-बहन, चाचा-चाची, खास करके दादा-दादी कितना सारा प्यार करते है। खिलौने ले देते है। मस्त मस्त जो हमे पसंद होता है वो खिलाते भी है।

अच्छे कपड़े भी रंगबिरगी
जब बड़े हो जाते है। तब हमे बताते है। आप bachpan मे ये किया करते थे। दादी-दादा ये कहानिया सुनाते थे हम यहा वही बात करने वाले है। कुछ किस्से कुछ कहानिया 

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दादी माँ परियो की कहानिया मगरमत्छ ऑर बंदर की कहानिया सुनते ही ऐसे लगता था जैसे सामने सब चित्र आ जाते थे

और सुनते सुनते सो जाते है। फिर भी दादी अपने हाथ से सर सहलाती और हम मीठी मीठी नींद सो जाते थे। वैसी नींद हमे कितनी भी फेसेलिटी हो सब ऐसों आराम उपलब्ध हो पर वो मीठी नींद नही आती !

पापा के कंधो पे बेठकर मेला घूमना खिलौने की जिद्द कोई चीज़ ना मिले तो रूठना फिर माँ बड़े प्यार से मनाती है।

ऐसे काफी किस्सो से Bachpan गुजरा है। जो हर पल याद रेहता है।

(3) Bachpan Ki Bhuli Bisri Yaadein

हमारे Bachpan की काफी यादें ऐसी होती है जो हम ज़िंदगी भर भूल नही सकते है। और कुछ भूली बिसरी जो हमेशा मन मे घूमती रहती है।

खास करके 80 से 90 के दशक के मे बचपन गुजरा होंगा वो समय का बचपन और आज के समय का Bachpan काफी फर्क है। आज हम उस पॉइंट पे बात करने वाले है।


Bachpan मे अगर 25 पैसे के सिक्के जिसे चवन्नी भी कहते वो अगर हमारे पास चार-पाँच सिक्के हो तो हम दोस्तो में अपने आपको अमीर कहलाते थे।

Bachpan कितना अजीब होता है। थोड़े में ही खुश रहते ! हम बच्चो को सिखाते है पर कभी कभी हमे भी बच्चो से भी  कुछ सीखना चाहिये

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उस पैसे भी हुआ करते थे आना(4पैसा), चारआना(25 पैसे), आठआना(50 पैसे)

10 पैसा, 20 पैसा 5 पैसा 1 पैसा कन्नी वाला सिक्का का भी चलन था 
 
80 से 90 के दशक मे धीरे धीरे टेलीविज़न हमारी लाइफ में एंट्री हुई जब छोटे थे। बलेक & व्हाइट के जमाने मे जब हम सब एक साथ टीवी देखते थे।

रामायण, महाभारत, मालगुडी डेज़, बुनियाद,  संसार, अलिफ लैला, सरकर्स, सुरभि, टी टाइम मनोरंजन जैसे प्रोग्राम देखते थे।



शांति, परंपरा,कयामत चन्द्रकान्ता  हम पाँच वो पाँच लड़की और उनके मम्मी पापा कॉमेडी सीरियल और तू तू में में को तो केसे भूल सकते है।

मोगली जंगल बूक  कार्टून को बचो ने काफी पसंद किया था जो आज भी काफी पसंद है। पोटली बाबा की , कहानियो का गुछा, और मिया गुम सुम और बत्तों रानी कहानी सुनाते सुनाते मुहावरा सिखाना।




Luna TFR मोपेड़ मे दादा या पापा के साथ घूमे ही होंगे। हमारा bjaja
Tin Tin cartoon मै tin tin के जासूसी भरे कारनामे तो आप को याद ही होंगे वो दूरदर्शन start होता था। उसके इंतजार में tv के सामने teeee जेसी आवाज़ सुनते हुए। बैठे रहते और कभी कभी तो वो जिलमिल जिलमिल

डिमोन्द और पुमबा और इसे कैसे भूल सकते है। ducktales खेले खतरो से वो है ducktales ru ru क्यू Bachpan याद आ गया ना ? अंकल स्क्रूज और उसके तीन भतीजे के साथ mysteries का हल करना

वो हेलीकाप्टर वाला कार्टून Talespin बहुत लोकप्रिय हुआ था। three little pigs की कहानी, अलद्दीन, मीना, chip & dale, Donald duck जैसे कार्टून हम कैसे भूल सकते है जो हम Bachpan मे देखा करते थे।
Tom and Jerry तो हम सबका आज भी फेवरेट है।
      
Bachpan के उस टाइम में विज्ञापन मी कितने मस्त होते थे धारा धारा सुद्ध धारा जिसमे एक बच्चा कहता है मै घर छोडके जा रहा हु रामू काका धुढ्ने जाते है। फिर जलेबी खाके कहता है



 ‘‘जाना तो है पर बीस पच्चीस साल बाद’’


ऐसे ही फेविकोल का जोड़, मेरा प्यार शालीमार जो हैर ऑइल की ad थी, नेरोलेक ,वॉशिंग पाउडर निरमा, जब घर की रोनक बढ़ा नि हो नेरोलेक paint, डाबर लाल दंतमंजन, कायम चूर्ण , vicco टर्मरिक, onida का tv का भूत वाला  विज्ञापन,
 मिले सुर मेरा तुम्हारा, स्कूल चले हम, हाजमोला का चटकारा, पानपसंद जो पिपरमिंट, पारले पोपीप्न्स,

 खाए जाव खाए जाव यूनाटेड के गुण गाये जाव यूनाटेड प्रेशर कुकर ,

खास करके रेल्वे क्रॉसिंग मे सावधानी वाला विज्ञापन और वो लालबुझक्कड चाचा भी याद ही होंगा।

 friends यहा पे में कोई भी विज्ञापन का प्रमोशन नही कर रहा बस Bachpan की उस सुनहरी यादों को आप के साथ share कर रहा हु।
यकीन मानो या ना मानो पर आज भी ये ad देखने का मजा आता है। उस Bachpan के टाइम की यादें हमेशा रहेंगी  
                
(4)    Bachpan Ke Khel or saitaniya

Bachpan में हम सब का खेलना और शैतानिया करना बस यही मुख्य काम होता था। हा मार खाने को भी मिलती साथ मे प्यार भी कभी कोई गिफ्ट दे तो कितना खुश हो जाते थे चाहे वो पेन या पेन्सिल या कोई खाने की चीज़ या फिर खिलौना हम यहा उस कुछ जो आजकल के बच्चो को याद भी नही होंगा

उस पुराने खेल और शैतानिया की यादें आपके share करनेवाला हु
शरूआत करते है। खेल से

(A)   लकड़ी का डंडा और साइकल का पहिया को डंडा मारते हुए पूरे म्होल्ले मे काफी घूमा करते थे बच्चे कभी कभी तो रेस भी होती थी। आज के समय में तो बच्चे भूल ही गये है। इस खेल को साइकल भी कम चलती है। हा गाँव में कही कही देखने को मिल जाता है ये खेल।


(B)  सतोलिया

इस खेल में जीतने लोग खेलना चाहे उतनी संख्या में खेल सकते है। इसमे सात पत्थर चाहिए जो सीधा हो कुछ इस तरह से
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 फिर दो टिम बन जाती है। और एक बॉल फिर पत्थर को मेदान के बीच मे एक उपर एक रख दिया जाता है। जिससे सतोलिया या पिठू और लगोरी भी कहते है।

  दोनों टीम आमने सामने आ जाती है। उसमे से एक टीम बोल फेक के इस सतोलिया को गिराने की कोशिश करती है। सामने वाली टीम बचाने की अगर बोल फेकने बाद सतोलिया नही गिरा और सामने वाली टीम मे से किसी ने बोल पकड़ लीआ तो सामने वाली टीम मे से जिसने बोल फेका था वो आउट वो गेम से बाहर
 
 अब सामने वाली टीम सतोलिया को गिराने की कोशिश करती है।
अब कोई टीम  जब सतोलिया गिरा देती है तो सामने वाली टीम फिर से सतोलिया बनाती है। और सामने वाली टीम बोल से आउट करती करती है।

सतोलिया बनाने वाली टीम आउट होने से पहले सतोलिया बनाले तो गेम उसका और आउट हो जाए तो गेम सामने वाली टीम का।

(C)  पोशम्पा

इसमे जितनी संख्या में खेलना चाहे उतनी संख्या में खेल सकते है। दो बच्चे आमने सामने दोनों हाथो को पक्क्ड़ के गाना गाते है। बाकी बचे बिच्च से निकलते है गाना बंध होने पर जो बच्चा फस गया वो आउट इस तरहा से ये गेम चलता रेहता है।

(D)  चोपड

इस खेल मे चार खेलाडी खेल सकते है। चारो के पास चार चार गोटिया होती है। अलग अलग कलर की और एक पासा होता है।

कुछ इस तरह का ड्रॉ होता है।

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 और पासा फेक के पासा के नंबर की संख्या के स्टेप से चोकर से चारो गोटियो मे से किसी एक गोटी आगे बढ़ाते है।

जो खेलाडी अपने विरोधी से पहले अपनी चारो गोटियो को घुमाकर अपने स्थान पर बीच मे गोटी ल देता वो जीत गया 

ये खेल चोकर से शरू होकर चोकर पे ही पूरा होता है।

इस खेल को पच्चीसी भी कहते है।


(E)  कीठ-कीठ

इस खेल को घर के अंदर घर से बाहर और गली मे भी आप खेल सकते है। बच्चो का मनपसंद खेल हे ये जमीन पे चकोर बना के उसमे नंबर लिख के कुछ इस तरहा से बनाया जाता है।

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 एक खिलाड़ी बाहर से इस चकोर मे स्टेप बाइ स्टेप एक पत्थर फेकता है। और बिना लाइन को छूए पत्थर लंगड़ी टांग करते हुए बहार निकलेंगा जो पहले इस सभी स्टेप को पूरा कर लेता है वो विजेता

इस खेल मे क्रमश चकोर को पूरा करना होता है। पत्थर फेकते समय पत्थर लाइन को छु गया तो भी आप की बारी पूरी फिर दूसरे खिलाड़ी की बारी आएंगी

(F)    शॉट-गो

 इस मे संख्या कोई तय नही है जीतने मरजी उतने खेल सकते है। खुले मेदान में खेला जाता है। और एक एरिया तय करते है। इसके अंदर ही खेलना है। जैसे आप क्रिकेट के मेदान की तरहा भी समज सकते है। जिसमे हद होती है।

अब कोई एक खिलाड़ी दाव देंगा और सभी को पकडेगा जिस खिलाड़ी को छुले वो शॉट अब वो व्ही खड़ा रहंगा व्हा से हिल भी नही सकता। बाकी जो बचे वो अगर बिना पकड़े गए उस खिलाड़ी को छुले जो शॉट हुआ था वो गो हो जाएंगा फिर खेल सकता है।

दाव देने वाला अगर कोई शॉट हुए खिलाड़ी को गो नही करा सके सब शॉट हो गए तो दाव देनेवाला का दाव पूरा हो जाएंगा अब जो सबसे पहले शॉट हुआ उसको दाव देना पड़ेंगा भाई

ये खेल बहुत interesting है काफी मजा आता है पूरी शरीर की कसरत हो जाती है। 

 वैसे तो हमारे देश मे काफी ऐसे पुराने खेल खेले जाते है। खो-खो कंचे से तो खेला ही होंगा। कब्बड्डी, लट्टू भी घुमाया करते है बच्चे।

अब थोड़ी शैतानी हो जाये हम ने और आपने Bachpan बहुत सारी शैतानी की होंगी और हाल के समय Bachpan याद आजाये तो बड़े हो जाने पर भी शैतानी कर देते है। Bachpan में शैतानी करना हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है। बिना शैतानी करे अगर बचपन गुजर गया तो बचपन अधूरा है

जैसे पहली बार स्कूल जाते समय बच्चे इतने बहाने बनाते है। जैसे उनको बार्डर पे लड़ने के लिए भेज रहे हो

आमतोर पे पेट में दुखना फिक्स है। और सरदर्द इनका रामबाण और तो और बार-बार सु-सु ना जाने इतनी कहा से आजाति है।

अब पहले के समय में बात है 80 से 90 दशक की और उससे पहले की भी जब बच्चे स्कूल मे वॉटर बैग नही होती थी उस समय में पानी पीने के लिए स्कूल के बहार मटका रखा जाता था

अब बच्चे पानी पीने के बहाने पूरा स्कूल घूम आते थे। कभी-कभी तो पानी पीके तालाब बगीचा जहा उनको कोई देख ना सके वैसी जगहा पे खेला करते फिर शिक्षक दूसरे विध्यार्थी को ढुढ्ने भेजते  पक्कड़े जाने पर क्या होता होंगा वो आप समज चुके होंगे।

ब्लेक्क्बोर्ड को ड्रॉ कर देना तो आम है। Bachpan में कहा पता होता है क्या सही कया गलत हम लोग हमारे माँ-बाप शिक्षक और आसपास से ही तो सीखते है।

 friends इस Bachpan की शैतानी पर एक special आर्टिकल लिख रहा

हु शायद आप लोगो ने सुनी भी नही होंगी काफी interesting बहुत जल्द

आपके साथ इसी website में आपके साथ  share करनेवाला हु।

 अब बात करते है next topic Bachpan Ka Bholapan

(5)    Bachpan Ka Bholapan  

Bachpan में बच्चे खाली स्लेट की तरह होते है। माता-पिता और शिक्षक उसमे जो लिखेंगे वही उनका भविष्य होता है। जो वो सीखते है वही करते है। बच्चे बहुत ही भोले और मासूम होते है। बहुत ही भोलापन देखने को मिलता है।
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Bachpan ka Bholapan

एकदम निर्दोष दुनियादारी से दूर दूर तक कोई लेना-देना नही वो अपनी मस्ती में ही जीते है। यहा तक की खेल खेल में पत्थर को भगवान बना के पूज लेते है जहा वो पत्थर रखा वो उनका मंदिर कोई सजावट नही जो हाथ मे लगा उससे ही मंदिर बना लीआ

हम लोग थोड़ा शास्त्र के अनुसार मंदिर बनाते है। पर बच्चे बिना शास्त्र पढे खेल ही खेल में मंदिर बनाके पुजा कर लेते है।

Friends क्या आप जानते है इन बच्चो की पुजा भगवान पहले स्वीकार करते है। क्योकि निस्वार्थ भाव से होती है ना कुछ मांगते है ना कोई ख़्वाहिश पूरे दिल से होता है। इस लिए तो बच्चे भोले होते है ऐसा कहा जाता है

और बच्चो का यही भोलापन हम सभी का मन मोह लेते है।


Friends कैसा लगा आपको Bachpan में डुबकी लगाके comment box

 में comment करके जरूर लिखिएगा और अच्छी लगे तो share भी

कीजिएगा     




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